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Government of Rajasthan's Decision


A. राज्य सरकार ने राज्य कर्मचारियों को सेवा का परित्याग किए बिना अपना स्वयं का व्यवसाय करने अथवा अन्यत्र नौकरी करने की सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से नियमित कर्मचारियों के लिये विशेष अवकाश (अवैतनिक) योजना तुरन्त प्रभाव से लागू करने का निर्णय लिया हैं।यह योजना चिकित्सा विभाग के तकनीकी कर्मचारी एवं चिकित्सक, शिक्षक चिकित्सा
महाविद्यालय, शिक्षक (स्कूल एवं महाविद्यालय), पुलिस विभाग के अधिकारी व अलिपिकीय वर्ग के कर्मचारियों को छोड़कर समस्त नियमित राज्य कर्मचारियों पर लागू होगी, जो राज्य के
कार्यकलापों के संबंध में लोक सेवा के पदों पर नियुक्त हैं और जिन्हें पेंशन के लिए अयोग्य घोषित नहीं किया गया है।
राज्य कर्मचारियों को यह विशेष अवकाश निम्न शर्तो के अनुसार देय होगा:-
(i) एक राज्य कर्मचारी को आवेदन करने पर न्यूनतम दो वर्ष एवं अधिकतम पांच वर्ष तक के लिए यह विशेष अवकाश (अवैतनिक) स्वीकृत किया जा सकेगा, लेकिन कर्मचारी के
अवकाश पर प्रस्थान के पश्चात् दो वर्ष की अवधि से पूर्व उसे सेवा में नहीं लिया जावेगा। ऐसा अवकाश कर्मचारी के पूरे सेवाकाल में मात्र एक बार ही देय होगा।
(ii) विशेष अवकाश के प्रकरण पर निर्णय हेतु निम्नांकित प्राधिकृत होंगे:-
                                           

क्र.सं.    केडर         प्राधिकारी
1 अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी/विभागाध्यक्ष कार्मिक विभाग (संबंधित विभाग के मंत्री एवं मुख्यमंत्री के अनुमोदन पर);
2 राज्य सेवा प्रशासनिक विभाग
3 अधीनस्थ सेवा/मंत्रालयिक सेवा/ चतुर्थ श्रेणी सेवा विभागाध्यक्ष ।

(iii) राज्य कर्मचारी इस अवकाश अवधि में भारत अथवा भारत के बाहर स्वरोजगार करने अथवा अन्य रोजगार प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र रहेगा, लेकिन वह राजस्थान सरकार के
अन्य विभाग अथवा राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन कम्पनी, निगम, स्वशाषी निकाय,स्थानीय निकाय संस्थाओं, सहकारी संस्थाओं और राज्य सरकार द्वारा अनुदानित संस्थाओं में कार्य नहीं कर सकेगा। इस अवधि में कर्मचारी राजनीतिक गतिविधियों में भाग नहीं ले सकेगा। कर्मचारी को सम्पर्क हेतु अपना स्थानीय (भारत में) पता, अवकाश आवेदन पत्र में अकित करना होगा।
(iv) विशेष अवकाश अवधि में स्वरोजगार अथवा अन्य संस्थान में नियोजन प्राप्त करने को राजस्थान सिविल सेवा (आचरण) नियम 1958 के तहत दुराचरण नहीं माना जावेगा।
(v) राज्य कर्मचारी की उक्त अवकाश अवधि अवैतनिक होगी। यह अवधि अवकाश अर्जित करने एव पेंशन के लिए सेवाकाल नहीं मानी जावेगी। कर्मचारी द्वारा नियमानुसार पेंशन
अंशदान जमा कराए जाने पर उक्त विशेष अवकाश अवधि पेंशन योग्य सेवा मानी जा सकेगी। इस अवधि के दौरान राज्य कर्मचारी का पद भरा हुआ ही माना जावेगा एवं उस पद पर भर्ती/पदोन्नति नहीं दी जा सकेगी।
(vi) ऐसी अवधि में राज्य कर्मचारी उनको आवंटित राजकीय आवास को रख सकेगा, परन्तु उसका किराया नियमानुसार वसूली योग्य होगा जो संबंधित कर्मचारी स्वयं जमा कराएगा।
(vii) स्वीकृत ऋण/अग्रिम की किश्तें स्वयं कर्मचारी द्वारा सम्बन्धित मद में चालान से जमा की जावेगी।
(viii) राज्य कर्मचारी इस अवधि में राज्य बीमा पालिसी को जारी रख सकेगा। इस अवधि में अवकाश पर प्रस्थान करने के समय के मूल वेतन के अनुसार मासिक प्रीमियम की राशि
चालान से संबंधित मद में जमा कराने की जिम्मेदारी कर्मचारी को स्वयं की होगी।
(ix) राज्य कर्मचारी अवकाश अवधि में निम्न सुविधाओं के पात्र नहीं होंगे:-
1. चिकित्सा पुनर्भरण सुविधा,
2. राजकीय टेलीफोन/वाहन की सुविधा,
उपरोक्त विशेष अवकाश अवधि के दौरान राज्य कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके आश्रित को राज्य सरकार के अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियमों के अनुसार पात्र होने पर नियुक्ति दी जा सकेगी।
(xi) विशेष अवकाश अवधि में कर्मचारी की विभाग में वरिष्ठता प्रभावित नहीं होगी। यदि उक्त अवधि में कर्मचारी को पदौन्नति का अवसर बनता है तो विशेष अवकाश अवधि में विभागीय पदोन्नति समिति द्वारा पदोन्नति हेतु विचार करते समय ऐसे अवकाश काल का वास्तविक वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन नहीं होने से ऐसी अवधि का मूल्यांकन "अच्छा" माना जावेगा। पदोन्नति हेतु योग्य कर्मचारी को Proforma पदोन्नति देय होगी। कर्मचारी के अवकाश से लौटने पर पदोन्नति का काल्पनिक लाभ पदोन्नति की दिनांक से दिया जावेगा।
(xii) (a) अवकाश अवधि में या अवकाश की समाप्ति पर यदि राज्य कर्मचारी की पेंशन योग्य सेवा 15 वर्ष से कम है तो वह राज्य सेवा से इस्तीफा दे सकेगा और इसके लिए नोटिस अवधि की आवश्यकता नहीं होगी। यदि ऐसा कर्मचारी अवकाश समाप्ति पर कार्य ग्रहण नहीं करता है तो संबंधित नियुक्ति अधिकारी कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर अथवा बिन्दु-3 के अनुसार निवास के पते के अनुरूप वहां के स्थानीय समाचार पत्र में नातिस प्रकाशित कराकर सूचित करेगा कि उसकी अनुपस्थिति का क्या नहीं राज्य सेवा से उसका त्याग समझा जावे। जवाब प्राप्त होने पर उसका परीक्षण कर एवं जवाब प्राप्त नहीं होने पर सेवा से पृथक करने के आदेश जारी करेगा।
(b)जिन कर्मचारियों की सेवा अवधि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति हेतु पूरी हो, ऐसे कर्मचारी अवकाश अवधि में अथवा अवकाश समाप्ति पर स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति हेतु आवेदन कर सकेंगे और उन्हें भी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति हेतु नोटिस अवधि के लिये बाध्य नहीं किया जावेगा। नोटिस देने पर भी सेवा पर नहीं लौटने पर अवकाश समाप्ति की तिथि से स्वैच्छिक सेवा निवृत्त मान लिया जावेगा।
B. राज्य सरकार के समसंख्यक आदेश दिनांक 22.5.2003 के द्वारा राज्य कर्मचारियों को सेवा का परित्याग किए बिना अपना स्वंय का व्यवसाय करने अथवा अन्यत्र नौकरी करने की
सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से नियमित कर्मचारियों के लिये विशेष अवकाश (अवैतनिक) लागू की गई थी।
इस योजना की समीक्षोपरान्त उक्त आदेश दिनांक 22.5.2003 एतद द्वारा तुरन्त प्रभाव से वापस लिया जाता है। ऐसे कर्मचारी जो इस योजना के तहत विशेष अवकाश (अवैतनिक)
का उपभोग कर रहे है. ये स्वीकृत अवकाश अवधि का यथावत उपभोग कर सकेंगे।
C. राज्य सरकार ने समसख्यक आदेश दिनाक 22.5.2003 के द्वारा राज्य कर्मचारियों को सेवा का परित्याग किये बिना अपना स्वयं का व्यवसाय करने अथवा अन्यत्र नौकरी करने की
सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से कतिपय संवर्ग के कर्मचारियों को छोड़कर नियमित कर्मचारियों के लिए विशेष अवकाश (अवैतनिको योजना लाग की गई थी। यह योजना समसख्यक आदश दिनाक 122006 के द्वारा वापस ले ली गई है।
इस योजना के अन्तर्गत उपभोग की गई अवकाश अवधि को वेतन वृद्धि हेतु योग्य सेवा मानने के संबंध में प्रकरण वित्त विभाग को संदर्भित किये जा रहे है। प्रकरण पर विचार करने
के पश्चात राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि राज्य कर्मचारियों द्वारा समसख्यक आदेश दिनाक 22.5.2003 के क्रम में लिये गये विशेष अवकाश (अवैतनिक) की अवधि वार्षिक वेतन
वृद्धि के लिये कात्यनिक (Notional) रूप में सेवा (Service) मान्य होगी।

1. Cases are being received for relaxing provisions of the above rule either on grounds of prolonged illness of the Government servant concerned or to enable him to undertake different courses of studies. It has been decided that in future the recommendations received from Administrative Department for the grant of extraordinary leave in relaxation of rule 96 (b) of the Rajasthan Service Rules will be considered only where the following conditions are satisfied: — (i) The Government servant concerned should have completed three years continuous service (including leave admissible under the rules) on the date of expiry of three months extraordinary leave, normally admissible to a temporary employee,

(ii) The total period of extraordinary leave (including three months admissible under the rules) should not exceed: — (a) six months, where the extraordinary leave is required on account of the illness of the Government servant and where the application of grant of such leave is supported by a Medical certificate as required under the rules; and (b) two years for the purposes of prosecuting studies certified to be in the public interest. (c) Where a Government servant who is not in a permanent employ fails to resume duty on the expiry of the maximum period of extraordinary leave granted to him, or where such a Government servant., who is granted a lesser amount of extraordinary leave than the maximum amount admissible remains absent from duty for any period which together with the extraordinary leave granted exceeds the limit upto which he could have been granted such leave under sub-rule (b)he shall, unless the Governor in view of the exceptional circumstances of the case otherwise determines, [be removed from service after following the procedure laid down in the Rajasthan Civil Services (Classification, Control & Appeals), Rules, 1958.] (d) The authority empowered to grant leave may commute retrospectively periods of absence without leave into extraordinary leave. £

2. Government servants suffering from T. B. before resuming duty should produce fitness certificate from the following authorities: — (i) A tempoary gazetted Government servant suffering from pulmonary tuberculosis or tuberculosis of any other part of the body should produce a fitness certificate from a Medical Committee as laid down in Rule 84 irrespective of the fact whether the treatment is had at a Sanatorium or at the residence of the Government servant. A. T. B. Specialist should also be co-opted as a member of the Medical Committee. (ii) A temporary non-gazetted Government servant suffering from pulmonary tuberculosis, should produce a certificate of fitness either from the Medical Officer in-charge of a recognised Sanatorium or from a T.B. Specialist recognised by State Government while such a Government servant suffering from tuberculosis of any other part of the body should produce a certificate from a qualified T.B. Specialist or a Civil Assistant Surgeon Class I.

3. According to Rule 96 (b) of Rajasthan Service Rules a temporary Government servant is entitled to extraordinary leave for 3 months  only. As extraordinary leave beyond 3 months can only be granted in relaxation of rules with the concurrence of Finance Department. It is essential that prior sanction of the competent authority (Finance Department) to sanction leave is obtained. Similarly in the case of a permanent Government servant he can be granted leave (including study leave) for a period upto 24 months only for the purpose of prosecuting of higher studies vide Rule 112 of Rajasthan Service Rules. Leave beyond 24 months in such cases also can be sanctioned with the prior concurrence of Finance Department. Cases have come to the notice of the Finance Department in which the Administrative Department/Heads of Departments have acted in disregard to the provisions contained in the Rajasthan Service Rules and permitted Temporary/Permanent Government Servants to proceed on leave without obtaining prior sanction of Finance Department in relaxation of rules. It is brought to the notice of all concerned that henceforth Finance Department will not accept any proposal in which ex post facto sanction of the Finance Department is desired to regularise such cases except in cases of prolonged illness of Government servants. 

4. A Case has come to the notice of the Finance Department in which the services of certain Medical Doctors were required to participate in the small pox Surveillance Drive organised by World Health Organisation in another State. According to the practice followed by such International Organisations they do not pay salaries and allowances to such officers but instead they pay travelling cost and per diem allowance. A question has been raised as to what treatment should be accorded to State Government Officers who participate in such drives. The matter has been considered and it has been decided that the officers who participate in such drives organised by International Agencies may be granted Extraordinary leave for the period they remain with the Organisation and the period of extraordinary leave should be counted for purposes of increment, pension etc.

5. The undersigned is directed to say that temporary female Government servants who are wives of the Defence Services personnel have to face hardship in remaining with their husbands when posted to family stations because they are entitled to extraordinary leave up to three months only. The families of such Defence Services Personnel have to undergo a lot of extra expenses on account of running two establishments and suffer considerably long periods of separation. In order to alleviate hardship in such cases it has been decided that the temporary female Government servants who are wives of the Defence Personnel may be granted extraordinary leave upto six months in relaxation of Rule 96 of Rajasthan Service Rules during the periods their husbands remain posted at family stations and thereafter rejoining their post when their husbands are posted out to non-family stations/operation areas.

6. (a)It has come to the notice of the Government that some Government servants have applied for grant of extra ordinary leave for a few days say two or three days though other kind of leave are admissible to them with the explicit intention of getting the date of increment changed so that they may get increment after fixation of pay in the selection grade. On some stages of pay, fixation in the Selection Grade comes to the same stage with or without adding annual increment and hence in such situation employees have availed extra-ordinary leave to get the date of increment change so that they may be able to get annual increment after fixation of pay in the selection grade. (b). Provisions of Rule 96(a) of Rajasthan Service Rules which regulate grant of extraordinary leave are as follows: — "96(a) Extraordinary leave may be granted to a Government servant in special circumstances: — (i) when no other leave is by rule admissible, or (ii) when other leave is admissible, but the Government servant concerned applied in writing for the grant of Extraordinary leave. (c) Where other leave is admissible to the Government servant but the Government servant concerned has applied in writing for the grant of extraordinary leave in such cases the competent authorities can grant extraordinary leave under Rule 96(a) of Rajasthan Service Rules if he is satisfied with the special circumstances indicated by the Government servant for grant of extra-ordinary leave and not otherwise. (d). It is therefore enjoined upon the authorities competent to sanction extra ordinary leave that in cases where extra-ordinary leave has been granted on or after 25-1-1992 may be reviewed and it may be ascertained whether the extraordinary leave already granted have not been taken by the Government servant with a view to getting the date of increment changed so that he may get annual increment after fixation of pay in the selection grade. In, cases where it is found that extra ordinary leave has been taken only with the above intention, the same may be refused and he may be asked to apply the leave which is admissible to him under rules. (e). In future such type of cases may also be decided accordingly. [Order No. F. 20(1)FD(Gr. 2)/92, dt. Pt. IV dated 16-2-95.]

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