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RSR > अध्याय-10 अवकाश खण्ड - 1 अवकाश की सामान्य शर्तें नियम

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खंड -2 अवकाशों की स्वीकृति नियम - 86


अवकाश समाप्ति के बाद अनुपस्थिति -

क - किसी कर्मचारी के बिना अवकाश या सक्षम प्राधिकारी द्वारा उसके अवकाश आवेदन को स्वीकार करने से पूर्व ही अपने पद या कर्तव्य से अनुपस्थित रहने पर उसे कर्तव्य से जानबूझकर अनुपस्थित (Wilful absence from duty) रहना समझा जाएगा। इस प्रकार के अनुपस्थिति को सेवा में व्यवधान(Interruption in service) मानकर सेवा काल को जब्त तक किया जा सकता है। संतोषजनक कारण बताने पर इस प्रकार के अनुपस्थिति को अवकाश स्वीकृति अधिकारी कर्मचारी को देय किसी प्रकार का अवकाश स्वीकृत कर नियमित कर सकता है अथवा इस अवधी को असाधारण अवकाश में परिवर्तित कर नियमित कर सकता है।

ख - यदि कर्मचारी उसको स्वीकृत अवकाशों के समाप्त हो जाने के बाद अथवा अवकाश वृद्धि से मना कर देने की सूचना देने पर भी अपने कर्तव्य से अनुपस्थित रहे तो उस अनुपस्थिति अवधि के लिए उसे वेतन एवं भत्ते प्राप्त करने का अधिकार नहीं होगा। ऐसी अवधि को असाधारण अवकाश में परिवर्तित कर दिया जाएगा। अवकाश स्वीकृति कर्ता अधिकारी उचित कारण प्रस्तुत करने पर अनुपस्थिति की अवधि को देय अवकाश स्वीकृत कर नियमित कर सकता है
- अवकाश समाप्ति के उपरांत कर्तव्य से स्वेच्छापूर्वक अनुपस्थिति (Wilful absence from duty) से कर्मचारी अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए दोषी या उत्तरदाई(Liable) बन जाता है।

ग - उपरोक्त उपनियम क तथा ख के प्रावधानों के बावजूद भी एक अनुशासनिक प्राधिकारी किसी ऐसे कर्मचारी के विरुद्ध राजस्थान सिविल सेवा(वर्गीकरण,नियंत्रण एवं अपील)नियम के अनुसार विभागीय कार्यवाही प्रारंभ कर सकता है जो अपने कर्तव्य से 1 माह से अधिक समय से स्वेच्छा पूर्वक अनुपस्थित चल रहा हो। किसी कर्मचारी के विरुद्ध आरोप सिद्ध होने पर उसे सेवा से निष्कासित(Remove) किया जा सकेगा।

घ - कोई राज्य कर्मचारी 5 वर्ष से अधिक अवधि तक निरंतर ड्यूटी से अनुपस्थित रहता है तो उसे सेवा से त्यागपत्र दिया हुआ माना जाएगा। परंतु ऐसा मानने से पूर्व अनुपस्थिति का कारण स्पष्ट करने हेतु कर्मचारी को उचित अवसर प्रदान किया जाना चाहिए।

राजस्थान सरकार का निर्णय
कर्तव्य से स्वेच्छापूर्वक अनुपस्थिति पर स्थिति
कर्तव्य से स्वेच्छापूर्वक अनुपस्थिति की वह अवधि जिसे अवकाश स्वीकृत कर covered नहीं किया गया हो,से भी पदाधिकार(Lien) समाप्त नहीं होता। ऐसी अनुपस्थिति की अवधि को वार्षिक वेतन वृद्धि, अवकाश एवं पेंशन आदि समस्त परियोजनाओं के लिए सेवा का शून्य काल(Dies non) माना जाएगा। जब कर्तव्य से अनुपस्थिति किसी प्रकार के स्वीकृत अवकाश की निरंतरता में नहीं हो अर्थात केवल स्वेच्छा से अनुपस्थिति का ही प्रकरण हो तो इसी अवधि को पेंशन प्रयोजनार्थ सेवा में व्यवधान(Interruption) माना जाएगा तथा पूर्व की सेवा जब्त(Forfeited) समझी जाएगी।

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